शाख से बोला पीला - पत्ता, मैं छोड़ रहा हूँ घर तेरा
अब बाग नहीं, अब पेड़ नहीं, है पूरा यह अंबर मेरा
शाखा बोली,'तुम स्वस्थ रहो, किन्तु न मर्यादा भूलो
पहचान तुम्हारी हमसे है, पिता है 'जय' तरुवर तेरा'
(पीपल का पत्ता पीपल का ही कहा जायेगा ... चाहे वह हरा हो या सूखा)
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