सिंधु ज्वार उठ चला गगन तक, देखो किसे बुलाने को
बाँह पसारे निकट आ रहा, सागर में शशि समाने को
तारों की गुपचुप बातें सुन, 'जय' लहरें शरम से मुस्काईं
पवन बह चली मदिर-मदिर, पूनम की रात सजाने को
बाँह पसारे निकट आ रहा, सागर में शशि समाने को
तारों की गुपचुप बातें सुन, 'जय' लहरें शरम से मुस्काईं
पवन बह चली मदिर-मदिर, पूनम की रात सजाने को
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