Tuesday, October 8, 2013



प्रिये! हाथों में हो हाथ तुम्हारा, जहाँ कहो हम साथ चलें 
कहो तो उड़ कर नभ छू लें हम, कहो चलें सागर के तले
कहो तो इस धरती को चूमें,कहो तो 'जय' शिखरों पे चढ़ें
जलद धरा नभ पवन के संग में,अपना शाश्वत  प्रेम पले ॥ 

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